टेक्नोलॉजी में आज कल इतना तेजी से विकास और परिवर्तन हो रहा है की इसने एक अलग ही मुकाम हासिल कर लिया है। आज इस आधुनिक समय में हम चारो तरफ से तकनिकी उपकरणों से घिरे हुए है फिर जाहे वो टेलीविज़न हो, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर, लैपटॉप, अंतरिक्ष में उड़ने वाले राकेट या स्पेसक्राफ्ट हो, आपके इलाज में इस्तेमाल होने वाले आधुनिक मेडिकल उपकरण हो आदि सब आज की उन्नत तकनिकी का कमल है। आएये आज हम ऐसे ही कुछ तकनिकी उन्नति के बारें में जानकारी हासिल करें।
१. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence (AI)) – कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस पिछले कई दशकों से शोध का विषय बनी हुई है। ऐसा नहीं है की पिछले दशकों में इसपर कुछ काम नहीं हुआ है परन्तु इसमें रोज नए तकनिकी विकाश देखने को मिलते है। आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स का इस्तेमाल हवाई जहाज़ के नेविगेशन, पानी के जहाज़ के नेविगेशन, वीडियो गेम्स, आपके मोबाइल का आपकी आवाज़ को पहचाना और आपके आदेश के अनुरूप काम करना आदि ऐसे ही बहुत से काम है जो इसके माध्यम से पूरे किये जाता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर को सोचने समझने और परिस्थिति के अनुरूप काम करने की क्षमता प्रदान करती है। इस तकनीक पर बहुत काम हो चुका है और अभी भी समभावनए आपार है।
२. रोबोटिक प्रक्रिया स्वचालन (Robotic Process Automation (RPA)) – रोबोटिक प्रक्रिया स्वचालन भी आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स की तरह ही इसका भी काम है हमारे काम को स्वचालित करना। इसकी मदद से आप ऐसे सॉफ्टवेयर रोबोट्स का निर्माण कर सकते है जो आपके बिज़नेस के रोज के दोहराने वाले कार्यों को सही और त्रुटि रहित कर सके। इस सॉफ्टवेयर रोबोट को आप अपने हिसाब से कॉन्फ़िगर कर सकते है और ये आसानी से लैपटॉप, मोबाइल या पीसी से संचालित किया जा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल बैंकिंग, सेल्स, HR , फाइनेंस इत्यादि जगहों पर किया जाता है जहां डेटा एनालिसिस के लिए बहुत श्रमशक्ति की आवश्यकता होती है। इसके इस्तेमाल से आप काम को जल्दी और त्रुटि रहित कर सकते है।
३. एज कंप्यूटिंग (Edge Computing) – एज कंप्यूटिंग का विकास पिछले दशक में किया गया था। एज कंप्यूटिंग का विकास डेटा को जल्दी प्रोसेस करने के लिए किया गया था। इस प्रक्रिया में डेटा वास्तविक समय (रियल टाइम) में ही प्रोसेस की जाती है। क्लाउड कंप्यूटिंग से भिन्न इसमें डेटा को किसी पास के ही नेटवर्क पर प्रोसेस करके उपभोगता को दिया है जिससे समय की बचत होती है और नेटवर्क पर भार भी कम पड़ता है। इस प्रक्रिया में डेटा प्रोसेस करने से एक तो समय की बचत होती है दूसरे ये हैकरों से भी बचा रहता है। क्यूंकि क्लाउड कंप्यूटिंग में डेटा को चुराना आसान है पर जब यही डेटा रियल टाइम में प्रोसेस होता है तो चुराना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस तकनीक की मदद से उपभोक्ता ऍप्लिकेशन्स को बेहतर तरीके से और बिना हैंग हुए इस्तेमाल कर सकता है।
४. प्रमात्रा संगणक (Quantum Computing) – क्वांटम कंप्यूटिंग कंप्यूटर की दुनिया में बेहद ही अहम् विकास है। इसकी मदद से हम गणना, डेटा संग्रहण और उसका विश्लेषण काफी तेज़ कर सकते है। क्वांटम कंप्यूटिंग पर आधारित क्वांटम कंप्यूटर का भी विकास किया जा रहा है। परंपरागत कंप्यूटर की तरह क्वांटम कंप्यूटर भी ० और १ का ही इस्तेमाल करके संगणक करते है। परन्तु इसमें ० और १ एक ही समय में मौजूद रह सकते है इसीलिए इन्हे बिट्स के बजाये क्यूबिट्स (Qubits) कहा जाता है। क्वांटम कंप्यूटर इन्ही क्यूबिट्स की सहायता से कंप्यूटिंग करता है जिससे गणना बहुत तेज़ हो जाती है और समय की बचत होती है। वैज्ञानिको ने शोध करके ये पाया है कि ४० क्यूबिक वाले क्वांटम कंप्यूटर की गणना शक्ति मौजूदा सुपर कंप्यूटर के बराबर होगी।
५. आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता (Virtual Reality and Augmented Reality) – आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता का इस्तेमाल हमारे आधुनिक जीवन में एक अलग ही पहचान बना चुका है। आभासी वास्तविकता या वर्चुअल रियलिटी का मतलब है ऐसे वास्तविकता जो वास्तविक न हो और इससे आपकी परिकल्पना पर आधारित करके बनाया गया हो। इस तकनीक का प्रयोग आपने तीन आयामी (3D) फीचर फिल्मों या वीडियो गेम्स में देखा होगा। इसमें VR सॉफ्टवेयर का इस्तेमान करके ऐसे काल्पनिक दृश्यों का निर्माण किया जाता जो आप देखना चाहते है और इन दृश्यों को देखने के लिए VR हेडगियर उपकाण बनाया गया है जिससे आप आभासी वास्तविकता का आनंद ले सकें।
संवर्धित वास्तविकता या ऑगमेंटेड रियलिटी वास्तविकता और आभासी वास्तविकता का मिला जुला रूप है। इसमें AR सॉफ्टवेयर की मदद से वास्तविकता और आभासी वास्तिवक्तिा को मिला कर दृश्य तैयार किया जाता है। उदाहरण के लिए जैसे आप अपने टेलीविज़न पर सजीव समाचार देख रहे होते है और उसी दौरान आपको कैप्शन या स्क्रीन के नीचे स्क्रॉल दिखाई देते है। ये कारनामा AR रियलिटी का है। AR रियलिटी का इस्तेमाल मनोरंजन, रियल एस्टेट का ब्लू प्रिंट बनाने, शिक्षा आदि क्षेत्रों में किया जा रहा है।
६. ब्लॉकचैन (Blockchain) – ब्लॉकचैन को कुछ लोग बिटकॉइन (Bitcoin) से जोड़ कर देखते है। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। ब्लैकचैन एक तकनीक है जिसके माध्यम से हम किसी भी लेखा-जोखा को डिजिटल माध्यम में सुरक्षित करके रख सकते है। यानि ब्लैकचैन एक प्रकार का डिजिटल बहीखाता या लेजर है। ब्लॉकचैन में एक बार डाटा की एंट्री होने के बाद उसे किसी भी तरह से बदला नहीं जा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल करके बहुत हद तक करप्शन को रोका जा सकता है और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता लाई जा सकती है।
८. 5G – 3G और 4G तकनीक ने हमारे जीवन में इंटरनेट की परिभाषा ही बदल दी थी। फिर चाहे हो इंटरनेट ब्राउज़िंग, ऑनलाइन मूवी देखना, ऑनलाइन गाना सुनना हो या ऐसा ही बहुत से कामो में क्रन्तिकारी तेजी ला दी थी। और ये सब संभव हो पाया था 3G और 4G तकनीक में उपलब्ध बैंडविड्थ की वजह से। इस तकनीक ने हमारे फ़ोन करने और इंटरनेट के खर्चे को बहुत हद तक काम कर दिया है। इसके आगे की तकनीक जिसपे आजकल काम चल रहा है उसको नाम दिया है 5G तकनीक। कुछ देशो में इस तकनीक का परीक्षण शुरु भी हो गया है, और ऐसी उम्मीद की जा रही है की २०२१ के अंत तक ये आम जनता के लिए उपलब्ध होगी। इस तकनीक के आ जाने से उन सेवाओं में क्रन्तिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा जो VR या AR तकनीक पर निर्भर है। ९. साइबर सुरक्षा (Cyber Security) – साइबर सुरक्षा डिजिटल प्रद्योगिकी में हमेशा से ही बहुत महत्वपूर्ण रहा है। आज की इस तेज़ रफतार जिंदगी में जब हम अपना ज्यादातर काम इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन करते है जैसे कि बैंकिंग, बिल पेमेंट्स, फी डिपॉजिट्स, टैक्स पेमेंट्स आदि तब ये बात बहुत जरुरी हो जाती है की हमारा डाटा सुरक्षित रहे। साइबर सिक्योरिटी न केवल ऑनलाइन डाटा अपितु आपके उपकरणों एवं जहां आपका डाटा एकत्र करके रखा गया है उसकी सुरक्षा की भी बात करता है। हम लगभग रोज़ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी की खबरें सुनते या पढ़ते है। हैकर्स लगातार आपका डाटा चुराने की कोशिश करते रहते है। तो जब तक हैकर्स है तब तक साइबर सिक्योरिटी एक अहम् मुद्दा बना रहेगा और और इसमें रोज़ नित नए प्रयोग किये जा रहे है जिससे आपकी निजता और डाटा को सुरक्षित किया जा सके।