कवीड-19 के समय विश्व के देशों को महामारी रोकने के लिए व्यापक लॉकडाउन लगाना पड़ा। जिसकी वजह से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अर्थव्यवस्था ठप्प पड़ गई। कवीड-19 में व्यवसाय के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला क्षेत्र शिक्षा का है। कोरोना महामारी से बचाव के लिए सभी शिक्षण संस्थानों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। जिसकी वजह से एक सौ बीस करोड़ छात्रों का स्कूल जाना बंद हो गया। शिक्षा जीवन की एक ऐसी प्राथमिकता है जिसको आप हमेशा के लिए बंद नहीं कर सकते। प्रथम लॉकडाउन हटने के बाद नियमित शिक्षा का विकल्प ढूढ़ा जाने लगा। जिसकी खोज अंततः ऑनलाइन शिक्षा के रूप में सामने आई। शुरुआत में कुछ संस्थानों ने इस वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली से छात्रों को पढ़ना शुरू किया। लेकिन समय के साथ भारत के लगभग सभी शिक्षण संसथान इस माध्यम से जुड़कर बच्चों को पढ़ाने लगे।
ऑनलाइन शिक्षा का क्या मतलब है?
कोवीड-19 महामारी की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। महामारी के दौरान बच्चों के स्कूल बंद हो गए और उनकी शिक्षा ठप्प पड़ गई। नियमित शिक्षा की कमी को पूरा करने के लिए ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा का विकल्प आया। यह शिक्षा की ऐसी व्यवस्था है जहाँ छात्र घर बैठे अपने अध्यापक से इंटरनेट के माध्यम से जुड़कर शिक्षा प्राप्त कर सकता है। शिक्षा की इसी व्यवस्था को “ऑनलाइन क्लासेस” कहा जाता है।
ऑनलाइन शिक्षा में विद्यालय छात्रों को कक्षाएं संचालित करने की समय सारिणी उपलब्ध करवाता है। समयानुसार शिक्षक और छात्र स्काइप, व्हाट्सप्प, गूगल मीट, ज़ूम वीडियो कॉल आदि माध्यमों से जुड़कर पठन-पाठन का कार्य करते है। इस प्रकार बिना विद्यालय गए, छात्र शिक्षा ग्रहण कर सकते है।
ऑनलाइन एजुकेशन के लाभ
आज, ऑनलाइन शिक्षा प्रारंपरागत शिक्षा के विकल्प के रूप में स्थापित हो रही है। ऑनलाइन शिक्षा के अपने कुछ विशेष लाभ है। जैसेकि:-
शिक्षक-छात्रों के मध्य नियमित संपर्क
ऑनलाइन शिक्षा ऑनलाइन संशाधनों जैसेकि व्हाट्सप्प, स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम आदि का उपयोग करते है। शिक्षक और छात्र इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके समूहों के माध्यम से जुड़े रहते हैं। कक्षा समाप्त होने के बाद भी समूह बने रहते है। जिसकी वजह से छात्र अपनी शंका किसी भी समय पूछ सकता है, जिसका जवाब उसे आसानी से शिक्षक से मिल जाता है। इस प्रकार ऑनलाइन शिक्षा में शिक्षक और छात्रों के बीच बेहतर समन्वय देखने को मिलता है।
शिक्षा में लचीलापन
अगर किसी कारणवश शिक्षक दिए गए समय पर कक्षा का संचालन नहीं कर पता है, तो वह कक्षा को स्थगित करने छात्रों को परिवर्तित समय जारी कर सकता है। इसकी वजह से छात्रों की कक्षाओं का नुकसान नहीं होता है। ऐसी सुविधा परम्परागत शिक्षा प्रणाली में संभव नहीं था। खोए हुए सत्र को पूरा करने के लिए उन्हें सप्ताहांत या छुट्टियों पर अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था करनी पड़ती थी। परन्तु ऑनलाइन कक्षा में आप दिन के किसी भी समय कक्षा संचालित करके उसकी पूर्ति कर सकते है।
प्रौद्योगिकी का सदुउपयोग
लॉकडाउन के पहले भी बहुत से विद्यालयों में स्मार्ट बोर्ड, शैक्षिक वीडियो, स्मार्ट शैक्षिक उपकरणों आदि का प्रयोग शुरु हो गया था। लेकिन शिक्षक एवं छात्र इसका समुचित प्रयोग नहीं कर पाते थे। परन्तु ऑनलाइन शिक्षा के आ जाने से शिक्षण प्रद्योगिकी का उपयोग व्यापक तरीके से हो रहा है। अब शिक्षक और छात्र दोनों ही सहजता से इन उपकरणों का उपयोग कर रहे है। शिक्षक, तकनीक का प्रयोग करके, रचनात्मक तरीके से शिक्षा को छात्रों तक पहुँचा पा रहे है। जिससे छात्रों को शिक्षा के साथ नई-नई तकनीक सीखने को भी मिल रही है।
ऑनलाइन शिक्षा से समय की बचत
ऑनलाइन शिक्षा के लिए आपको कोई यात्रा नहीं करनी पड़ती है। जिसकी वजह से छात्रों का बहुत समय बच जाता है। इंटरनेट के माध्यम से छात्र घर बैठे ही विभिन्न विषयों के शिक्षकों से तालमेल बिठा करके शिक्षा ग्रहण कर सकता है।
आयोजित कक्षाओं को फिर से देखना
छात्र स्क्रीन रिकॉर्डर आदि सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन का उपयोग करके अपनी ऑनलाइन कक्षाओं को रिकॉर्ड कर सकते हैं। शंका होने या फिर विषय को पुनः समझने के लिए छात्र कभी भी रिकॉर्ड किये गए वीडियो को देख सकता है। इससे छात्रों की शंका का समाधान तुरंत हो जाता है और उन्हें बार-बार शिक्षक से नहीं पूछना पड़ता। परंपरागत शिक्षा पद्धति में छात्रों के पास ऐसी सुविधा नहीं थी।
रचनात्मकता को बढ़ावा मिलना
ऑनलाइन शिक्षा में शिक्षक तकनीक का उपयोग करके रचनात्मक तरीक से अपने विषय को छात्रों तक पहुंचा सकता है। शिक्षक अपने विषय से सम्बंधित वीडियो बनाकर, पीपीटी या स्लाइड्स के माध्यम से अपने विषय को रोचक बना सकता है। जिससे छात्रों में भी रुचि बनी रहती है। शिक्षक छात्रों से भी ऐसे वीडियो या स्लाइड्स बनाने को दे सकते है। जिसे छात्र अपनी कल्पना और तकनीक का प्रयोग करके बना सकते है। इससे छात्रों की कल्पना शक्ति और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है।
छात्रों में आत्म-अनुशासन का बढ़ना
ऑनलाइन शिक्षा में छात्र अपने मोबाइल या लैपटॉप के माध्यम से शिक्षक से जुड़े होते है। सही समय पर ऑनलाइन कक्षा से जुड़ना और एकाग्र होकर शिक्षक की बातों को सुनना और समझना होता है। नियमित ऐसा करने से छात्रों में आत्म अनुशासन का विकास होता है। जो आगे चलकर उनके भविष्य के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
ऑनलाइन एजुकेशन की समस्या
जिस प्रकार एक सिक्के के दो पहलु होते है उसी प्रकार ऑनलाइन शिक्षा के भी अपने लाभ और हानि है। अबतक हमें ऑनलाइन शिक्षा से होने वाले लाभ के बारें में जाना। आइए अब हम इससे होने वाली हानियों के बारें में बताते है।
इंटरनेट और उपकरण की समस्या
भारत एक विशाल देश है। यहाँ बहुत सी सामाजिक एवं आर्थिक विसंगतियाँ पाई जाती है। भारत में बड़ी संख्या में छात्र समाज के कमजोर आर्थिक वर्ग एवं गाँवों से संबंधित हैं। इन छात्रों के माता-पिता ऑनलाइन क्लासेज के लिए जरुरी उपकरण जैसेकि स्मार्ट मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, टैबलेट आदि खरीदने के पैसे नहीं है। इसके अलावा भारत के बहुत से क्षेत्रों में बाधित बिजली आपूर्ति और कमजोर या गैर-मौजूद इंटरनेट संयोजकता का भी आभाव है।
इस सब कमियों के चलते ऑनलाइन कक्षाएं बहुत ही सीमित छात्रों तक पहुंच पाई है। एक बड़ा वर्ग आज भी ऑनलाइन शिक्षा से वंचित है। ऐसे वर्ग के छात्रों के लिए शिक्षकों द्वारा व्हाट्सप्प या यूट्यूब पर कक्षाओं की वीडियो डाली जा रही है। जिससे छात्र अपनी सुविधानुसार देख और पढ़ सकते। परन्तु इस प्रकार की शिक्षा की पहुंच भी सीमित है। जिसका विकल्प मिलना बहुत जरुरी है।
उचित पाठ्य सामग्री का आभाव
महामारी के दौरान शिक्षा की कमी को दूर करने के लिए ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प लाया गया। परन्तु ऑनलाइन कक्षाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए शिक्षकों के पास समुचित पाठन सामग्री का आभाव है। बहुत कम विद्यालयों के पास पाठ्यक्रम अनुसार सामग्री उपलब्ध है। लेकिन ज्यादातर विद्यालय पुराने ऑनलाइन उपलब्ध वीडियो और विषय नोट्स की जरिये पढ़ा रहे है। जिससे छात्रों में विषय को समझने में बहुत कठिनाई हो रही है। यहाँ तक कि बहुत से शिक्षक, तकनिकी समझ कम होने के कारण, ऑनलाइन कक्षाओं को संचालित करने में भी असमर्थ है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा का महत्त्व ख़तम हो जाता है।
व्यवहारिक शिक्षा का आभाव
विज्ञान के विषयों जैसेकि जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान एवं भौतिकी में व्यवहारिक शिक्षा का बहुत महत्त्व है। ऑनलाइन कक्षाओं में इस व्यवहारिक अनुभव का आभाव है। इसकी पूर्ती के लिए शिक्षक एनिमेटेड व्यावहारिक वीडियोस का उपयोग करते है। परन्तु छात्रों में व्यवहारिक ज्ञान की जो अनुभूति भौतिक वस्तुओं का उपयोग करके होती है। वह अनुभव यहाँ अनुपस्थित सा जान पड़ता है। जिसके चलते छात्रों में व्यावहारिक ज्ञान के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है। जिसका प्रभाव आगे चलकर छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा।
छात्रों में प्रतिस्पर्धा का आभाव
परंपरागत शिक्षा में छात्र समूह बना कर पठन-पाठन करते थे। जिससे उनमें पढाई के प्रति रुचि उत्पन्न होती थी। साथ ही छात्र अपने को बेहतर और काबिल साबित करने के लिए ज्यादा परिश्रम करते थे। इससे छात्रों के मध्य सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रहता था। परन्तु ऑनलाइन शिक्षा में इस माहौल का आभाव साफ़ देखने को मिलता है।
आत्म मूल्यांकन की कमी
परंपरागत शिक्षा में छात्रों की योग्यता जानने के लिए परीक्षाएं एवं गृहकार्य दिया जाता था। जिससे शिक्षक जान सकते थे कि बच्चे कहाँ पिछड़ रहे है। फलस्वरूप शिक्षक कमजोर छात्रों पर ज्यादा ध्यान दे पाते थे। इसके साथ ही बच्चे भी अपने आपको परख सकते थे और खुद को बेहतर बनाने के लिए और प्रयास करते थे। परन्तु ऑनलाइन शिक्षा में आत्म-मूल्यांकन की कमी नजर आती है। अब बच्चे अकेले पढ़ते है। उनकी परीक्षाओं और गृहकार्यों का भी ठीक से मूल्यांकन नहीं हो पाता है। जिससे छात्रों के पढाई में कमजोर होने का डर बना रहता है।
अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलना
विद्यालय में छात्रों को हमेशा अनुशासन में रहना पड़ता था। छात्र एक निर्धारित समय में अपने कार्यों को पूरा करते थे। त्रुटि होने पर उन्हें शिक्षकों द्वारा दंडित भी किया जाता था। जिससे छात्र हर समय अपने कार्यों के प्रति सजग और अनुशासित रहते थे। परन्तु ऑनलाइन कक्षाओं के आ जाने से छात्र स्वछंद हो गए है। निगरानी के आभाव में छात्रों में कक्षा कार्यों, गृहकार्यों एवं पढाई के प्रति अनुशासनहीनता देखने को मिलती है।
प्रोत्साहन की कमी
परंपरागत शिक्षा में छात्रों के मध्य प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई जाती थी। विजेताओं को पुरस्कार दिए जाते थे। ऐसा छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता था। जिससे छात्रों में खुद को साबित करने के प्रति उत्साह बना रहता है। परन्तु ऑनलाइन शिक्षा में ऐसी प्रतियोगिताएं संभव नहीं है।
विषयों को समझने में कठिनाई
ऑनलाइन कक्षाओं में शिक्षक सभी छात्रों को एक सामान पढ़ाते है। शिक्षक और छात्रों के मध्य बातचीत भी बहुत कम होती है। ज्यादातर ऑनलाइन कक्षाओं में एकतरफा ही संचार होता है। जिससे छात्रों को अपनी शंकाओं का समाधान नहीं मिल पाता है।
परंपरागत शिक्षा में शिक्षक छात्रों के बोलचाल एवं विषय के प्रति उनकी प्रतिक्रिया देखकर समझ जाता था कि छात्र विषय को कितना समझ पा रहे है। ऐसे में विषय को दोबारा समझाता था। कक्षा के कमजोर छात्रों पर भी शिक्षक विशेष ध्यान दे पाते थे। परन्तु ऑनलाइन कक्षाओं में प्रत्यक्ष संवाद की कमी रहती है। जिससे छात्रों को विषयों को समझने में कठिनाई होती है।
उपकरणों का गलत उपयोग
ऑनलाइन शिक्षा में छात्रों को मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर आदि की आवश्यकता होती है। ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन समाप्त होने के बाद भी छात्र इन उपकरणों का प्रयोग पढाई के लिए करते है। परन्तु बहुत से छात्र इसका गलत उपयोग करने लगते है। जिनमे मुख्यता गेम खेलना, इंटरनेट सर्फिंग करना, सोशल मीडिया व इंस्टाग्राम पर वीडियो और फोटो डालना आदि गैरजरूरी कार्य शामिल है। इनके आकर्षक भ्रम में पढ़कर छात्र अपनी पढाई का नुकसान करते है। इसके लिए जरुरी है की अभिवाहक अपनी बच्चो पर कड़ी नजर रखें।
छात्रों में स्वस्थ सम्बंधित समस्याओं का जन्म
ऑनलाइन पढाई करने के लिए छात्रों को लम्बे समय तक मोबाइल या लैपटॉप के स्क्रीन को देखना पड़ता है। यहाँ तक की बच्चे पढाई सामग्री भी उसी पर सुरक्षित रखते है। ऐसे में बच्चो का बहुत समय इन उपकरणों की स्क्रीन देखने में जाता है। जिसके कारण बच्चों को आँखों और सिर दर्द की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कई छात्रों की नजर कमजोर हो गई है और उनको चश्मा लगाना पड़ा है। इसके लिए जरुरी है हम इन उपकरणों को एक उचित दूरी और कम समय के लिए देखें।
स्मरण शक्ति की क्षति
परंपरागत शिक्षा में छात्र किताबों से पढ़ते थे और विषय से सम्बंधित जरुरी बातों की नोट्स बनाते थे। ऐसा करते रहने से छात्रों की स्मरण शक्ति बढ़ती थी। परन्तु ऑनलाइन शिक्षा में इस शक्ति का लोप हो रहा है। जिस प्रकार मोबाइल आ जाने से हम नंबर याद करना भूल गए उसी प्रकार ऑनलाइन शिक्षा में छात्र किताबों से पढ़ना, लिखना और याद करना भूल रहे है।
ऑनलाइन शिक्षा की विसंगतियों का समाधान क्या है?
अबतक हमें ऑनलाइन शिक्षा से होने वाले लाभ और समस्याओं को जाना। जिससे हमें ऑनलाइन शिक्षा में व्याप्त विसंगतियों का पता चलता है। लेकिन यह कहना गलत न होगा कि ऑनलाइन शिक्षा आज के समय की एक जरुरत बन गई है। यह वही माध्यम है जिसने लॉकडाउन में भी शिक्षा का आदान-प्रदान रुकने नहीं दिया। ऑनलाइन शिक्षा भविष्य का सच है। जिसे हम सबको स्वीकार करना पड़ेगा। ऑनलाइन शिक्षा में कुछ बुनियादी समस्याएं है जिनका आसानी से समाधान किया जा सकता है। जैसेकि:-
- शिक्षकों द्वारा विषय आधारित ऑनलाइन नए पाठ्यक्रमों को बनाना।
- छात्रों के कक्षा कार्यों एवं गृहकार्यों के मूल्यांकन का तरीका खोजना।
- व्यवहारिक शिक्षा का विकल्प खोजना।
- जिन छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के साधन नहीं है, उन्हें सुविधा प्रदान की जाए।
- ऑनलाइन कक्षाओं के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाए।
- शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक सिस्टम तैयार किया जाए।
- इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या का हल करना चाहिए।
- उपकरणों से होने वाली स्वस्थ समस्याओं का समाधान ढूढ़ना।
- अभिवाहकों द्वारा बच्चों पर कड़ी निगरानी रखना, जिससे बच्चों के बिगड़ने से रोका जा सके।
- ऑनलाइन कक्षाओं के लिए बेहतर प्लेटफार्म तैयार करना जिसमें शिक्षा के लिए जरुरी विशेषताएं उपलब्ध हों।
निष्कर्ष
शिक्षा के बिना एक सभ्य समाज की कल्पना भी अधूरी लगती है। शिक्षा व्यक्ति के विकास एवं समाज की समृद्धि में बहुमूल्य योगदान प्रदान करती है। शिक्षा व्यक्ति के जीवन को सफल बनती है। शिक्षा समाज को रहने योग्य विकसित करती है। भविष्य में कवीड-19 महामारी जैसी कोई और भी बीमारी आ सकती है। तो क्या हम तब भी सब शिक्षण संस्थानों को बंद कर देंगे? ऐसा करना शायद अनिवार्य हो। परन्तु बार-बार ऐसा करने से छात्रों के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा।
शिक्षा बाधित होने से छात्र अपने भविष्य को लेकर संशय की स्थिति में रहेंगें। व्यावसायिक पाठ्यक्रम बाधित होने से समाज में अनिवार्य पेशेवरों की कमी हो जाएगी। ऐसी स्थिति सभी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। जिसका समाधान ऑनलाइन शिक्षा के रूप में हमसब के समक्ष उपलब्ध है। बस जरुरत है तो इसमें कुछ बुनियादी सुधार करने की, जो समय के साथ हो भी रहा है। ऑनलाइन शिक्षा भविष्य की शिक्षा है, और हमसब को इसके अनुरूप खुद को ढालना ही पड़ेगा।