द्रौपदी मुर्मू, एक आदिवासी महिला नेता, जिन्होंने ओडिसा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तक, एक लंबी और कठिन यात्रा तय की है। निर्वाचित होने पर, 64 वर्षीय, द्रौपदी मुर्मू, भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी।
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना आधिकारिक उम्मीदवार चुना है। वह संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री, यशवंत सिन्हा के विरुद्ध सत्ताधारी पार्टी की उमीदवार है। द्रौपदी मुर्मू ने 2015 से 2021 तक झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। वह पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली झारखंड की पहली महिला राज्यपाल हैं, और भारत के राष्ट्रपति पद के लिए नामित होने वाली पहली व्यक्ति, पुरुष या महिला, एक अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं।
द्रौपदी मुर्मू, भारतीय राजनीती में बहुत जाना माना नाम नहीं है। बहुत कम लोग ही ओडिसा से आने वाली इस आदिवासी महिला नेता को जानते है। लेकिन भाजपा के द्वारा द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित करने के बाद, अब हर कोई इनके बारें में जानना चाहता है। द्रौपदी मुर्मू कौन है? इनका राजनीतिक करियर कैसा रहा है? उनके परिवार में कौन कौन है? वह कहाँ की रहने वाली है? उनकी शिक्षा दीक्षा कहाँ हुई? आदि बहुत सी बातें उनके बारें में पता करना चाहते है। तो आइये इस लेख में हम आपको उनके जीवन का, शुरुआत से लेकर राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक, पूरा जीवन परिचय देते है।
द्रौपदी मुर्मू कौन हैं इनका जन्म एवं शुरूआती जीवन
इनका जन्म 20 जून 1958 को ओडिसा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जो ओडिसा का एक आदिवासी जातीय समूह है। इनका जन्म देश के सबसे दूरस्थ और अविकसित जिलों में से एक में हुआ था।
द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मु से हुई थी। जिनका अब देहांत हो चुका है। वह दो बेटों और एक बेटी की माँ है। इनके दोनों बेटे अब जीवित नहीं है। इनकी बेटी, जिसका नाम इतिश्री मुर्मु है, उसकी अब शादी, गणेश हेम्ब्रम, हो गई है।
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा कहाँ हुई
उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा ओडिशा के एक निजी विद्यालय से प्राप्त की। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने बाद यह भुवनेश्वर शहर चली आई। यहाँ पर इन्होनें रमा देवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर, ओडिशा में अपनी आगे की शिक्षा जारी रखी। यहाँ से इन्होंने कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
द्रौपदी मुर्मू का शुरूआती करियर
अपनी पढाई पूरी करने के बाद, इन्होने साल 1979 से लेकर साल 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में ओडिशा सरकार के साथ काम किया। इसके बाद इन्होनें 1994 में, रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में एक सहायक शिक्षक के रूप में कार्य शुरू किया और यह कार्य इन्होनें 1997 तक जारी रखा। यहाँ पर कार्य करते हुए इन्होनें अपने राजनीतिक करियर की नीवं रखी और अपना पहला चुनाव लड़ा।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर
इनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में तब हुई जब इन्होने पार्षद के रूप में अपना पहला स्थानीय चुनाव जीता। उसी वर्ष इनको भाजपा ने अपने एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष बनाया।
इसके बाद इन्होने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर रायरंगपुर सीट से दो बार जीत हासिल की और 2000 में ओडिशा सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनी। भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार मंत्री रही। इसके बाद 6 अगस्त, 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं।
उसी विधानसभा सत्र के साल 2007 में, इनको ओडिसा विधानसभा द्वारा वर्ष का सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए “नीलकंठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।
इसके बाद, अगले एक दशक में उन्होंने भाजपा के भीतर कई प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं। साल 2002 से लेकर के साल 2009 तक यह भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर रही। इसके बाद इन्होनें भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद को इन्होंने साल 2006 से लेकर के साल 2009 तक संभाला। एसटी मोर्चा के साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर के पद पर यह साल 2013 से लेकर के साल 2015 तक रही और भाजपा के एसटी मोर्चा के राज्य अध्यक्ष और मयूरभान से भाजपा जिलाध्यक्ष के पद पर कार्य भी संभाला।
मई 2015 में, भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें झारखंड के 9वें राज्यपाल के रूप में चुना। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी। इसके साथ ही वह भारत की पहली आदिवासी महिला बन गई जिन्हें भारतीय राज्य में राज्यपाल नियुक्त किया गया हो। राज्यपाल के पद पर रहते हुए इन्होने छः साल और 54 दिनों तक का अपना कार्यकाल सफलता पूर्वक 2021 में पूर्ण किया। कोरोना महामारी के चलते भारत के राष्ट्रपति ने इन्हें सेवा विस्तार दिया गया था।
इसके बाद भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने इनको राष्ट्रपति पद के लिए अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होना है और मतगणना 21 जुलाई को होगी। राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए अंतिम तिथि 29 जून 2022 है।
द्रौपदी मुर्मू की संपत्ति
महिला राजनेता होने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू के पास ज्यादा सम्पति की मालकिन नहीं है। उनके पास मुश्किल से बुरी परिस्थियों में अपने घर को सँभालने लायक संपत्ति है। इनके द्वारा अंतिम बार अपनी सम्पति की सार्वजनिक घोषणा के समय मात्र 9.5 लाख रूपए थे। इसके अलावा इनके पास ना कोई आभूषण, ना जमीन और ना ही कोई चल और अचल संपत्ति है।
उत्कर्ष
इस प्रकार अगर द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति के पद पर चुनाव हो जाता है, तो वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। इसके अलावा वह देश की सबसे युवा राष्ट्रपति भी होंगी, जिनकी अभी उम्र 64 वर्ष है। इससे पहले भारत के राष्ट्रपति के पद पर महिला के तौर पर श्रीमती प्रतिभा पाटिल जी विराजमान हो चुकी है। केंद्र और बहुत से राज्यों में भाजपा या भाजपा समर्थित सरकार है, तो ऐसा में द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति चुनना लगभग तय माना जा रहा है। अगर ऐसा हो जाता है तो द्रौपदी मुर्मू भारत की राजनीति में एक नया मुकाम हासिल कर लेंगी।