आधुनिक जीवनशैली का कारण हमारा शरीर कई बिमारियों का घर बन गया है। इन्ही में से एक सामान्य बीमारी है डायबिटीज यानि मधुमेह। डायबिटीज का घरेलु उपचार ही सबसे कारगर है। मधुमेह भले ही एक सामान्य दिखने वाली बीमारी हो परन्तु यदि ये एक बार हो जाए तो जीवनभर साथ नहीं छोड़ती है। पहले यह बीमारी ज़्यादातर 50 साल के ऊपर के लोगों को होती थी। लेकिन बदलती जीवनशैली और खानपान की ख़राब आदतों के कारण यह बीमारी अब किसी भी आयु वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना लेती है।
विश्व स्वास्थ संगठन के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में पूरे विश्व में 35 करोड़ से ज्यादा लोग मधुमेह की बीमारी से पीड़ित है। अगर आने वाले कुछ वर्षों में लोगों ने अपनी जीवनशैली और खानपान में सुधार नहीं किया तो यह संख्या दोगुनी हो सकती है। लोगों में मधुमेह के प्रति जागरूक करने के लिए विजस्व स्वास्थ संगठन की पहल पर अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस मनाया जाता है।
विश्व स्वास्थ संगठन ने वर्ष 1991 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस मनाया। इसके बाद साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित होने के बाद यह आधिकारिक रूप से पूरे विश्व में मनाया जाने लगा। अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। इसके पीछे भी एक कारण है। दरअसल 14 नवंबर को फ्रेडरिक बैंटिंग का जन्मदिवस होता है। फ्रेडरिक ही वह वैज्ञानिक है जिन्होंने चाल्स बैट के साथ मिलकर 1922 में इन्सुलिन की खोज की थी।
डायबिटीज क्या है और इसका घरेलु उपचार
डायबिटीज या मधुमेह चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसका कारण लम्बे समय तक उच्च रक्त शर्करा का होना है। मधुमेह के कारण व्यक्ति का अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। इंसुलिन कोशिकाओं को ग्लूकोज को अवशोषित करने, रक्त शर्करा को कम करने और कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज प्रदान करने में मदद करता है। इन्सुलिन की कमी के कारण रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति को डायबिटीज या मधुमेह कहा जाता है। मधुमेह को आम भाषा में शुगर की बीमारी भी कहते है।
जब किसी व्यक्ति को मधुमेह हो जाता है तो भोजन को ऊर्जा में बदलने में दिक्कत आती है। जिसका प्रभाव शरीर के अन्य भागों पर भी पड़ता है। मधुमेह के कारण शरीर में दर्द, गुर्दे की समस्या, आँखों की रोशनी का कम होना, दिल का दौरा पड़ना, चक्कर आना आदि खतरे हो सकते है।
मधुमेह होने के कारण क्या है?
पहले यह बीमारी अधिक उम्र के लोगों में ही पाई जाती थी। लेकिन अब आधुनिक जीवनशैली, अनुचित खानपान, शारीरिक श्रम कम करना, अत्यधिक तनाव आदि कारणों से व्यक्ति के त्रिदोष वात, पित्त और कफ असन्तुलित हो जाते है। जिसके कारण व्यक्ति मधुमेह के रोग से ग्रषित हो जाता है। इसके अलावा मधुमेह होने का एक कारण अनुवांशिकता भी है। यदि परिवार में माता या पिता को मधुमेह की बीमारी है तो बहुत संभव है कि उनके बच्चे इस बीमारी से ग्रषित हो जाएं।
मधुमेह होने का मुख्य कारण है अग्न्याशय ग्रंथि द्वारा पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाना। जिसके कारण रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और इस बीमारी को जन्म देती है।
इसके अलावा मोटापा भी मधुमेह के लिए जिम्मेदार होता है। वजन ज्यादा बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है और रक्त में कॉलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण मधुमेह का रोग हो सकता है। नियमित समय पर खाना न खाना, अधिक भोजन करना, जंक फ़ूड का ज्यादा सेवन करना, बहुत अधिक मीठा खाना, व्यायाम न करना, खाने के तुरंत बाद सो जाना और शरीरीक श्रम न करने वाले लोगों में भी मधुमेह होने की सम्भावना अधिक रहती है।
वर्त्तमान में बच्चे भी मधुमेह के रोग से पीड़ित पाए जाते है। जिसका कारण आजकल के बच्चों का शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहना, अधिक टी.वी. या वीडियो गेम्स खेलना, मोबाइल पर समय व्यतीत करना आदि शामिल है। बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए उनकी जीवनशैली बदलने की जरुरत है। उन्हें एक स्वस्थ जीवनशैली अपनानी जरुरी है।
डायबिटीज के प्रकार क्या है?
डायबिटीज तीन प्रकार के होते है:-
टाइप 1 डायबिटीज
यह मधुमेह बच्चों एवं 20 साल तक के युवाओं में पाया जाता है। जिसका कारण इन्सुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं का नष्ट होना या उनका पूरी तरह से विकसित न होना पाया गया है। इसके फलस्वरूप रोगी का अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है और रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इस प्रकार के मधुमेह का उपचार बाहर से इन्सुलिन देकर नियंत्रित किया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज
भारत में ज्यादातर लोग टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित है। इस प्रकार का मधुमेह इन्सुलिन प्रतिरोध के कारण होता है। यह समस्या अधिक वजन या मोटापे के कारण उत्पन्न होती है। पेट के भरी वजन के कारण कोशिकाएं ब्लड शुगर पर इंसुलिन के प्रभाव के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं। जिसके कारण रोगी का शरीर इन्सुलिन का पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाता है। इस प्रकार के मधुमेह को उचित खान-पान से नियंत्रित किया जा सकता है।
गर्भावधि मधुमेह
यह मधुमेह गर्भावस्था के दौरान पाया जाता है और जिसका मुख्य कारण हार्मोनल परिवर्तन है। हार्मोनल परिवर्तन के कारण कोशिकाएं इन्सुलिन के प्रभाव के प्रति कम संवेदनशील हो जाती है। जिसके कारण रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इस प्रकार के मधुमेह को उचित आहार के माध्यम से रोका जा सकता है।
मधुमेह के लक्षण क्या है?
डायबिटीज के शुरुवाती लक्षण इस प्रकार है:-
- अधिक भूख और प्यास लगना।
- बार-बार पेशाब लगना।
- लगातार शरीर में दर्द रहना।
- हमेशा थका हुआ महसूस करना।
- शरीर के घावों का जल्दी न भरना।
- आँखों की रोशनी का कमज़ोर होना।
- शरीर के वजन का अचानक से बढ़ना या कम होना।
- त्वचा और प्राइवेट पार्ट्स में संक्रमण होना।
- त्वचा पर खुजली होना या अन्य त्वचा सम्बन्धी रोग होना।
- हाँथ पैरों में झनझनाहट महसूस होना।
- महिलाओं में योनि में कैंडिड इंफेक्शन होने को खतरा होना।
- मधुमेह में व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे की मंसूड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और मंसूड़े कमजोर होकर दांत ढीले हो सकते है।
- मुँह से गंध या बदबू आना।
मधुमेह की जांच कैसे करें?
मधुमेह का पता लगाने के लिए निम्न जांचें की जाती है:-
ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट
इस टेस्ट को फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़ भी कहते है। इस जांच में भोजन से पहले और भोजन के बाद रोगी के ग्लूकोज़ के स्तर का परीक्षण किया जाता है। यह टेस्ट मधुमेह का पता लगाने के लिए बहुत ही सटीक और सुविधाजनक होता है।
ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
इस टेस्ट को करने से दो घंटे पहले रोगी को 75 ग्राम निर्जल ग्लूकोज पानी में मिलाकर पीने को दिया जाता है ताकि व्यक्ति के शुगर की सही जांच की जा सके। यह टेस्ट ज्यादातर उन लोगों पर किया जाता है जिसपर मधुमेह के रोगी होने का संदेह होता है परन्तु ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट में सामान्य दिखता है। इस टेस्ट को करने के लिए रोगी को कम से कम 8-12 घंटे पहले तक कुछ नहीं खाना चाहिए।
एचबीए1सी टेस्ट
इस जांच में रोगी के दो-तीन महीनों के औसत रक्त शर्करा के स्तर की जांच होती है। यह हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ी ग्लूकोज़ की मात्रा को नापता है। यह टेस्ट टाइप 1 मधुमेह और गर्भावधि में होने वाले मधुमेह का पता लगाने के लिए नहीं किया जाता है। इस जांच का उपयोग प्रीडायबिटीज मधुमेह और टाइप 2 मधुमेह का पता लगाने के लिए किया जाता है।
रैंडम प्लाज़्मा ग्लूकोज
इस टेस्ट का उपयोग नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए किया जाता है। यदि रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज़ 200 ली. का दशमांश प्रति मा.ग्रा. या उससे ऊपर दिखाता है तो व्यक्ति में मधुमेह के लक्षणों का पता चलता है।
गर्भकालीन मधुमेह के लिए टेस्ट
गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह का खतरा बना रहता है। गर्भावस्था के दूसरी तिमाही का दौरान गर्भकालीन मधुमेह के लिए जांच की जाती है। आमतौर पर यह जाँच गर्भावस्था के 24 से 28 सप्ताह के मध्य की जाती है। गर्भकालीन मधुमेह का पता लगाने के लिए प्रारंभिक ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट या फिर फॉलो-अप ग्लूकोज टॉलेरेंस टेस्टिंग की जाती है।
मधुमेह से बचने के उपाय
उचित आहार और संतुलित जीवनशैली का पालन करके हम मधुमेह और उसकी जटिलताओं से बच सकते है। हम निम्न बातों का ध्यान रखकर मधुमेह को काबू कर सकते है।
- भोजन में करेला, खीरा, टमाटर, शलजम, लौकी, तुरई, पालक, मेथी, गोभी आदि शामिल करें।
- मधुमेह के रोगी को आलू और शकरकंद का सेवन नहीं करना चाहिए।
- फलों में सेब, अनार, संतरा, पपीता, जामुन, अमरुद आदि का सेवन करें।
- आम, केला, लीची, अंगूर आदि मीठे फल नहीं खाने चाहिए।
- सूखे मेवों में बादाम, अखरोट, अंजीर खाएं। किशमिश, छुआरा, खजूर आदि न खाएं।
- मीठी चीजें जैसेकि चीनी, शक्कर, गुड़, गन्ने का रस, चॉकलेट आदि का सेवन न करें।
- एक बार में अधिक भोजन नहीं करना चाहिए। भूख लगने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करना चाहिए।
- मधुमेह के रोगी को प्रतिदिन व्यायाम और योग करना चाहिए।
- प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
- अपने वजन का ध्यान रखें।
- मधुमेह की दवाओं का नियमित सेवन करें।
- नियमित पानी पिएं।
- धूम्रपान और मदिरा का सेवन न करें।
मधुमेह नियंत्रित करने के घरेलू उपाय
यदि आपको मधुमेह के लक्षण नजर आएं तो तुरंत इसका उपचार शुरू कर देना चाहिए। मधुमेह को आप आसानी से घरेलु उपचारों एवं आयुर्वेदिक दवाओं से नियंत्रित कर सकते है।
- मधुमेह को नियंत्रित करने में करेले का रस बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। करेला का जूस बनाने के लिए एक करेले का रस, चुटकीभर नमक, चुटकीभर कालीमिर्च, एक या दो चम्मच नींबू का रस मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इस तरह तैयार जूस को रोज सुबह खाली पेट पीना चाहिए। करेले में शुगर स्तर को कम करने के गुण होता है। नियमित सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
- टाइप 2 मधुमेह के उपचार में मेथी बहुत लाभदायक होता है। मेथी को इस प्रकार उपयोग करें। दो चम्मच मेथी को दो कप पानी में डालकर रात भर छोड़ दें। अगले दिन सुबह इस पानी को छानकर खाली पेट पिएं। इसके अलावा आप मेथी के दानों को चबा भी सकते है। नियमित उपयोग ने निश्चित ही लाभ मिलेगा।
- रक्त में शुगर की मात्रा कम करने में दालचीनी बहुत लाभदायक है। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते है जिसकी वजह से यह मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है। उपयोग के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर रोज सुबह पिएं।
- आंवले में क्रोमियम पाया जाता है जोकि रक्त शुगर स्तर को नियंत्रित करने का कार्य करता है। आंवला इन्सुलिन के प्रवाह को भी बढ़ाता है। इसी वजह से आंवला मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। उपयोग के लिए आंवलें के रस में चुटकी भर हल्दी और शहद डालकर दिन में दो बार पिएं। ऐसा नियमित करने से शुगर नियंत्रण में रहेगी।
- आयुर्वेद के अनुसार नीम में एंटीडाइबिटिक, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी आदि गुण होते हैं। इसके अलावा नीम के पत्तों में इंसुलिन रिसेप्टन सेंसिटिविटी बढ़ाने के साथ-साथ शिराओं व धमनियों में रक्त प्रवाह को सुचारु रुप से चलाता है। यहां तक की नीम मधुमेह के दौरान होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को भी कम करता है। उपयोग के लिए आप नीम के पत्तों को अच्छे से धो कर सुबह सुबह चबा कर खा सकते है। इसके अलावा आप नीम के पत्तों का रस निकालकर पानी में मिलाकर, सुबह खाली पेट, भी पी सकते है। अगर आपको नीम का रस या पत्तों को चबाना पसंद नहीं है तो आप डॉक्टर की सलाह से नीम के कैप्सूल भी खा सकते है। नीम के कैप्सूल आसानी से बाजार में उपलब्ध रहते है।
- ग्रीन टी में मौजूद पॉलिफिनॉल्स शरीर में रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। ग्रीन टी के उपयोग से शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है। रोजाना ग्रीन टी के सेवन से टाइप 2 मधुमेह नियंत्रित रहता है। बेहतर परिणाम के दिन में कम से कम तीन से चार बार ग्रीन टी का सेवन करें।
- तुलसी में मौजूद एन्टीऑक्सिडेंट शरीर में इन्सुलिन छोड़ने और जमा करने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करता है। मधुमेह के रोगी को रोज सुबह खाली पेट तीन से चार तुलसी के पत्ते खाने चाहिए।
- रोज सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ पिएं। अलसी में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिसके कारण यह अतिरिक्त वसा और शुगर के अवशोषण में सहायक होता है। अलसी के बीज मधुमेह रोगी के भोजन के बाद की शुगर स्तर को लगभग 28 प्रतिशत तक कम कर देते है।
- लहसुन में एलिसिन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह तत्व एंटीडायबिटिक होता है, जो मधुमेह को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद करता है। उपयोग के लिए आप रोज सुबह लहसुन की एक से दो कली खा सकते है। अगर आपको कच्चा लहसुन खाना नहीं पसंद है तो आप सब्जी में लहसुन की खड़ी कलियाँ डाल सकते है। पकने के बाद आप इन कलियों का सेवन कर सकते है।
- अमरूद या अमरूद की पत्तियों की चाय मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को कम करने में सहायक है। अमरूद, अल्फा-ग्लूकोसाइडेज एंजाइम गतिविधि को कम कर मधुमेह में रक्त शर्करा को प्रभावी ढंग के नियंत्रित करता है। इसके अलावा अमरूद में प्रचुर मात्रा में फाइबर और विटामिन-सी पाया जाता है जोकि वजन को संतुलित करता है। उपयोग के लिए आप रोज अमरूद खाएं या अमरूद की चाय पिएं।
- एक कप पानी में थोड़ा सा कद्दूकस किया हुआ अदरक डालकर उबालें। ठंडा होने पर इस पानी को छानकर पी लें। ऐसा दिन में एक से दो बार दोहराएं। अगर आपको अदरक का पानी पीना पसंद नहीं है तो आप इसे सब्जी में भी डालकर खा सकते है। अदरक में मौजूद एंटीडाइबेटिक तत्वों के कारण यह मधुमेह को नियंत्रित रखता है।
- दलिया में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जिसकी वजह से यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है और कोलेस्ट्रॉल को कम कर मधुमेह का उपचार करता है। इसके अलावा दलिया में मौजूद बीटा-ग्लुकोन भी रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है और साथ ही साथ दिल की बीमारी से भी बचाता है। इसके लिए आप दिन में एक से दो बार एक कटोरा दलिया का सेवन कर सकते है। फ्लेवर्ड या तुरंत बनने वाले दलिया का उपयोग न करें क्यूंकि इसमें चीनी पाई जाती है।
- करी पत्ते के सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है और रक्त शर्करा का स्तर भी कम रहता है। उपयोग के लिए आप आठ से दस करी पत्ते धोकर खा सकते है या फिर आप इसको भोजन बनाते समय उसमें डाल सकते है।
- अमलतास की पत्तियों को धोकर उनका रस निकाल लें। एक चौथाई कप रस प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह नियंत्रित रहता है।
- भोजन के बाद नियमित रूप से सौंफ का सेवन करें। सौंफ मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
- एक कप काली चाय में एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर रोज सुबह और शाम को इसका सेवन करें। कलौंजी का तेल मधुमेह को नियंत्रित करने में लाभदायक होता है।
- आयुर्वेद के अनुसार नीलबदरी के पत्तों में एंथोसाइनिडाइन्स काफी मात्रा में पाया जाता है, जोकि चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।
- शलजम को सलाद या सब्जी के रूप में नियमित सेवन करें। मधुमेह के रोगियों के लिए शलजम बहुत लाभदायक होता है।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए
जब भी आपको मधुमेह के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। डॉक्टर परामर्श के अनुसार मधुमेह की सभी जांचें करवाएं। शुगर की दवा का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के न करें। वार्ना यह सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। दवाओं के साथ आप घरेलू उपचारों का भी उपयोग कर सकते है।