डेंगू बुखार एक आम संचारी बीमारी है जोकि मच्छर के काटने से होती है। आम भाषा में इसे ‘हड्डी तोड़’ बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी समय समय पर महामारी का रूप भी लेती आयी है। यूरोप महाद्वीप को छोड़कर ये बीमारी पूरे विश्व के लोगों को प्रभावित करती है। इस बीमारी का प्रकोप वर्षा ऋतु और उसके बाद ज्यादा देखने को मिलता है।
विश्व स्वस्थ संगठन के अनुसार प्रत्येक वर्ष ये बीमारी विश्व के दो करोड़ लोगों को प्रभावित करती है। जिसमें से लगभग पांच लाख लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत पड़ती है। इस बीमारी से बच्चों को ज़्यादा खतरा रहता है। भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया, मेक्सिको, अफ्रीका, मध्य, दक्षिण अमेरिका आदि क्षेत्रों में डेंगू के ज़्यादा मामले देखने को मिलते है।
डेंगू बुखार के लक्षण एवं घरेलु उपचार, किस कारण होता है?
यह बीमारी ‘डेंगू’ नामक वायरस के शरीर में प्रवेश करने के कारण होती है। इस बीमारी के चार प्रमुख प्रकार होते है। जिन्हे टाइप 1, 2, 3, 4 नाम से जाना जाता है। आम भाषा में इस बीमारी को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। क्यूंकि इस बीमारी में शरीर और जोड़ों में बहुत दर्द होता है।
डेंगू फैलता कैसे है?
यह बीमारी एक संचारी बीमारी है। इसको फैलने के लिए माध्यम की जरुरत पड़ती है। मलेरिया की तरह यह बीमारी भी मच्छरों द्वारा काटने से होती है। इन मच्छरों को ‘एडीज़ मच्छर’ कहते है। इनके शरीर पर काली और सफ़ेद पट्टियाँ होती है जिस कारण इनको ‘चीता मच्छर’ भी कहा जाता है। ये मच्छर बहुत निडर होते है, और ज्यादातर दिन के समय ही काटते है।
डेंगू बुखार से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में डेंगू वायरस बहुतायत में मौजूद होते है। जब ये मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति का खून चूसते है तो उसके रक्त के जरिये ये वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। फिर जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटते है तो वायरस उसके शरीर में प्रविष्ट होकर उसको संक्रमित कर देता है। इस प्रकार यह बीमारी फैलती ही जाती है।
डेंगू बुखार का संक्रमण काल क्या है?
जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसके तीन से पांच दिनों के अंदर उस व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते है। इसी को संक्रमण काल कहा जाता है। कुछ मामलों में संक्रमण काल सात से दस दिनों का भी हो सकता है।
डेंगू बुखार के प्रकार एवं लक्षण क्या है?
इस बुखार के लक्षण डेंगू बुखार के प्रकार पर निर्भर करता है। डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते है:-
- साधारण डेंगू बुखार
- डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डेंगू हमरेजिक बुखार)
- डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार
आइए अब हम आपको प्रत्येक डेंगू प्रकार के लक्षणों के बारें में बताते है।
साधारण डेंगू बुखार के लक्षण
इस प्रकार के डेंगू से ग्रषित व्यक्ति को दो से सात दिनों तक तेज बुखार चढ़ता है। इसके साथ नीचे दिए गए दो या अधिक लक्षण दिखाई दे सकते है।
- ठण्ड के साथ अचानक तेज बुखार आना।
- सिर के अग्र भाग में तेज दर्द का होना।
- मरीज की आँखों के पीछे दर्द होना एवं आँखों की गति से दर्द में तेज़ी आना।
- शरीर की मांसपेशियों एवं जोड़ों में अत्यधिक दर्द होना।
- व्यक्ति को चक्कर आना।
- शरीर में खून के चकते बनना।
- मरीज़ को स्वाद का पता न चलना एवं भूख न लगना।
- रोगी के सीने एवं शरीर के ऊपरी भाग में खसरे जैसे दानों का निकलना।
- जी मचलाना एवं उल्दी आना।
- रक्त में सफ़ेद कोशिकाओं में कमी आना।
डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डेंगू हमरेजिक बुखार) के लक्षण
अगर डेंगू संक्रमित व्यक्ति में साधारण डेंगू के लक्षणों के अतिरिक्त निम्न लक्षण दिखाई दें, तो समझ लेना चाहिए की व्यक्ति रक्तस्रावी डेंगू बुखार से पीड़ित है।
- नाक, मुँह और मसूड़ों से खून आना।
- उल्टी और शौच में खून आना।
- व्यक्ति के शरीर की चमड़ी का पीला एवं ठण्डा पड़ना।
- रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या में अत्यधिक गिरावट आना।
- व्यक्ति के फेफडों एवं पेट में पानी भर जाना।
- त्वचा पर गहरे नीले पीले रंग के चकते पड़ना।
- अत्यधिक प्यास लगना।
- व्यक्ति को उलझन या बेचैनी महसूस होना एवं लगातार कराहते रहना।
- रोगी को सांस लेने में तकलीफ होना।
डेंगू शॉक सिंड्रोम बुख़ार के लक्षण
अगर व्यक्ति में ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा शॉक के लक्षण दिखाई देने लगे तो समझ जाना चाहिए कि मरीज डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार से पीड़ित से ग्रषित हो गया है।
- व्यक्ति के रक्तचाप में कमी आना।
- रोगी को अत्यधिक बुखार होने पर भी शरीर का ठंडा रहना।
- मरीज़ की नब्ज़ का कमजोर होना एवं तेजी से चलना।
- व्यक्ति को बहुत अधिक बेचैनी का महसूस होना।
- पेट में लगातार तेज दर्द होना।
डेंगू बुखार का उपचार
अगर व्यक्ति में उपरोक्त कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो तुरंत डेंगू की जांच करानी चाहिए। डेंगू पाए जाने की स्थिति में व्यक्ति का तुरंत उपचार करना चाहिए। डेंगू के बुखार का कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। क्यूंकि डेंगू एक वायरस है जिसपर कोई दवा या वैक्सीन काम नहीं करती है। डेंगू बुखार के कुछ बुनियादी उपचार है, जोकि नीचे दिए गए है।
- मरीज को अधिक से अधिक आराम करने की सलाह दें।
- बुखार के लिए उम्र के अनुसार पैरासिटामोल दें। ध्यान रहे पैरासिटामोल 24 घंटे में चार बार से ज्यादा न दें।
- दर्द के लिए एस्प्रीन और आईबुप्रोफेन न दें।
- इस बुखार में एंटीबायोटिक्स नहीं दी जाती है क्यूंकि इस बीमारी में वो लाभकारी नहीं है।
- उल्टी की स्थिति मरीज को ओ.आर.एस. दिया जाए।
- मरीज को भूख के अनुसार पौष्टिक भोजन दिया जाए।
- मरीज़ को भरपूर मात्रा में पानी देना।
डेंगू बुखार के मरीज़ के ठीक होने के दो दिन बाद तक भी डेंगू के लक्षण दिखाई देते है। इसीलिए डेंगू बुखार के मरीज की ठीक होने के दो दिन बाद तक अच्छे से निगरानी करनी चाहिए। एवं मरीज को भी खुद सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा अगर मरीज़ में रक्तस्रावी एवं शॉक सिंड्रोम डेंगू के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करके मरीज़ को अस्पताल में भर्ती कर देना चाहिए। मरीज़ को अस्पताल ने निम्न मापदंडों पर ही छुट्टी देनी चाहिए।
- मरीज़ को बिना दवा दिए 24 घंटों तक बुखार न आना।
- सामान्य भूख लगना।
- मरीज़ की आम दशा एवं शारीरिक दर्द में आराम मिलना।
- पेशाब का उचित मात्रा में आना।
- मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ का न होना।
- रक्त में प्लेटलेट्स कोशिकाओं की संख्या पांच लाख से अधिक होना।
डेंगू बुखार के घरेलु उपचार
वायरल बुखार होने की वजह से डेंगू का कोई पुख्ता उपचार उपलब्ध नहीं है। दवाओं के साथ निम्न घरेलु उपाय करने से मरीज की हालत में जल्दी सुधार होने की उम्मीद रहती है। निम्न घरेलु उपाय चिकित्सक की सलाह पर ही करने चाहिए।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते का रस का सेवन
डेंगू के बुखार में पपीते के पत्ते बहुत लाभकारी होते है। इसके पत्तों में प्लेटलेट्स को बढ़ाने के गुण मौजूद होते है। चिकित्सक की सलाह से पपीते के पत्तों के रस का सेवन करें। इससे डेंगू के लक्षणों में जल्दी सुधार देखने को मिलता है।
गिलोय और तुलसी का मिश्रण
इसमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने एवं शरीर के संक्रमण को कम करने के गुण होते है। गिलोय के तने को उबाल कर उसका काढ़ा पीने से डेंगू के लक्षणों में सुधार होता है। काढ़ा बनाने के लिए दो से तीन ग्राम गिलोय का तना पीस लें। इसमें पांच से छः तुलसी की पत्ती मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस तैयार काढ़े को डेंगू के मरीज़ को दिन में कम से कम दो बार दें। इससे रोगी की हालत में जल्दी सुधार होता है।
सफ़ेद रक्त कोशिकाओं में वृद्धि के लिए नीम के पत्तो का रस
औषधीय गुण होने की वजह से नीम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है। नीम के पत्तो का रस पीने से रक्त में प्लेटलेट्स और सफ़ेद रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। जिससे रोगी की हालत सुधारने में सहायता मिलती है।
दर्द कम करने के लिए मेथी का उपयोग
बुखार एवं शारीरिक दर्द कम करने में मेथी बहुत लाभकारी होती है। मेथी को रात भर पानी में भिगोकर रखें, फिर सुबह उसी पानी का सेवन करें। इस प्रकार सेवन करने से डेंगू बुखार में राहत मिलेगी।
जौ का उपयोग भी प्लेटलेट्स की संख्या में वृद्धि करता है
रक्त कोशिकाओं में सुधार करके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या में वृद्धि करने का कार्य जौ घास आसानी से कर सकती है। जौ की घास का काढ़ा बनाकर पिए या फिर आप इसकी घास को सीधे भी खा सकते है। इसके लगातार सेवन से डेंगू मरीज़ के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या में सुधार होगा।
डिहाइड्रेशन से बकने के लिए नारियल पानी पीना
डेंगू के मरीज को बहुत प्यास लगती है। ऐसे में साधारण पानी देने से अच्छा मरीज को नारियल का पानी पिलाएं। नारियल पानी में मौजूद पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का कार्य करते है। इससे मरीज़ की डिहाइड्रेशन की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है।
डेंगू बुखार के दौरान क्या खाना चाहिए?
मरीज़ को डेंगू बुखार के दौरान अपने खान पान का बहुत ध्यान देना चाहिए। निम्न चीजें डेंगू बुखार के दौरान लाभकारी है:-
- डेंगू बुखार के दौरान मरीज को तेज बुखार रहता है एवं पेट की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में मरीज़ को हल्का एवं सुपाच्य आहार ही लेना चाहिए।
- तला और मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए।
- डेंगू के मरीज़ का मुँह और गला सूख जाता है। ऐसे में मरीज को संतरे का रस, नारियल पानी या फिर ताजा सूप का सेवन करना चाहिए।
- डिहाइड्रेशन से बचने के लिए थोड़े थोड़े अंतराल पर मरीज को पानी पीते रहना चाहिए।
- मरीज को नींबू पानी पीने को दें। नींबू का रस शरीर से गंदगी निकालने में सहायक होता है।
- हर्बल टी को अदरक और इलाइची डालकर बनाए। इससे बुखार में आराम मिलता है।
- इस बुखार के दौरान मरीज को ताज़ी सब्जियों जैसे कि गाजर, खीरा, पालक आदि का रस पीने को दें। इन सब्जियों में मौजूद खनिज एवं विटामिन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते है।
- डेंगू मरीज़ को दलीय का सेवान करना चाहिए। दलीय में मौजूद फाइबर एवं पोषक तत्व मरीज को डेंगू से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करते है।
- इसके रोगी को प्रोटीन की बहुत आवश्यकता होती है। प्रोटीन की पूर्ती के लिए मरीज़ को दूध और डेरी उत्पादों का सेवन जरुर करना चाहिए।
इससे बचाव के उपाय
इस बुखार से बचाव का उपाय बहुत ही सरल एवं सस्ता है। बस जरुरत है कुछ सामान्य सावधानियां बरतने की जोकि निम्नलिखित है।
- एडीज मच्छर का पनपना (प्रजनन) रोकना
- एडीज़ मच्छर के काटने से बचाव
एडीज मच्छर का पनपना (प्रजनन) रोकना
मच्छर केवल पानी के स्रोतों में ही पनपते है जैसेकि नालियों, गड्ढ़ो, रूम कूलर्स, टूटी बोतलें, पुराने टायर्स, डिब्बों आदि में जहाँ पानी ठहरता हो। ऐसे में इनका प्रजनन रोकने के लिए निम्न उपाय करें।
- अपने घरों और उसके आसपास पानी को न ठहरने दें। गडढों को मिट्टी से अच्छे से भर दें। गन्दी और रुकी हुई नालियों की सफाई करवाएं, जिससे पानी का रुकना न हो पाए।
- घर के कूलर एवं फूलदानों का पानी सप्ताह में एक बार जरूर बदलें।
- पुराने टायरों, डिब्बों तथा बोतलों में पानी जमा न होने दें।
- पानी की टंकियों एवं पानी के बर्तनो को सही तरीके से ढककर रखें। जिससे की मच्छर अंदर प्रवेश न कर सकें।
- यदि रूम कूलर या पानी की टंकियों से पानी निकालना संभव न हो तो, उनमें सप्ताह में एक बार पेट्रोल या मिट्टी का तेल डाल दें। प्रति 100 लीटर पानी के लिए 30 मिलीलीटर पेट्रोल की मात्रा पर्याप्त होती है। ऐसा करने से मच्छरों का प्रजनन रुक जाता है।
- पानी के बड़े स्रोतों में कुछ छोटी किस्म की मछलियां जैसेकि गैम्बुसिया, लेबिस्तर आदि डाली जा सकती है। ये मछलियां मच्छरों के अण्डों एवं लार्वा को खा जाती है।
- मच्छर नाशक दवाओं का नियमित छिड़काव करना चाहिए।
- फ्रिज के नीचे रखी जाने वाली पानी की ट्रे को प्रतिदिन साफ़ कर देना चाहिए।
- अपने घर और आसपास सफाई रखें। ऐसा करने से मच्छर के प्रजनन को रोकने में मदद मिलती है।
एडीज़ मच्छर के काटने से बचाव
जितना जरुरी मच्छरों का पनपना रोकना है, उतना ही जरुरी है खुद को उसके काटने से बचाना। मच्छर के काटने से बचने के लिए आप निम्न उपाय कर सकते है।
- घर की खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छर रोधी महीन जाली लगवायें। ऐसा करने से मच्छरों का घर में आना कम होगा।
- मच्छर को भागने के लिए मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, मैट्स आदि का प्रयोग करें।
- रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- अपनी शरीर को जितना हो सके ढक कर रखें। यह सावधानी बच्चों में ज्यादा बरतनी चाहिए। पूरी बाजु की कमीज एवं पैंट पहने।
- यह मच्छर दिन में काटते है इसीलिए आप दिन में भी पूरी सावधानी बरते।
डेंगू बुखार की रोकथाम के लिए अन्य उपाय
उपरोक्त सावधानियों के साथ यदि आप निम्न उपाय करेंगे तो डेंगू बुखार को रोकने में सहायता होगी।
- अगर आपके आसपास कोई डेंगू का मरीज़ है तो उसे शुरू से ही मच्छरदानी के अंदर रखें। ऐसा करने से मच्छर उस मरीज़ तक नहीं पहुंच पाएंगे। इस उपाय से डेंगू के संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी।
- इसके अलावा डेंगू के रोकथाम के लिए सर्वे और रोकथाम की कार्यवाही मरीज़ के घर के पांच किलोमीटर के दायरे में करनी चाहिए।
- डेंगू बुखार की पुष्टि होने पर तुरंत ही नज़दीकी स्वस्थ केंद्र में इसकी सूचना दें। ऐसा करने से डेंगू रोकथाम की जरुरी कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
- नगर निगम/ नगर पालिका द्वारा मच्छर मारक दवाओं के छिटकाव में सहयोग करें। उनको रोकने की चेष्टा न करें।
- डेंगू के प्रति लोगों को जागरूक करें। जिससे लोग समय रहते डेंगू की रोकथाम के उपाय कर सकें।
डेंगू बुखार की जांच कब करवानी चाहिए
व्यक्ति के खून की जांच के बाद ही डेंगू के बुखार की पुष्टि होती है। इसके लिए NS1 नामक टेस्ट करवाया जाता है। यह जांच डेंगू के लक्षण दिखने के पांच दिनों के अंदर करवा लेना चाहिए। ताकि बीमारी की सही स्थिति का पता चल सके। और रोगी का सही समय पर उपचार किया जा सके।
वैसे तो डेंगू एक जानलेवा बुखार नहीं है। परन्तु सही समय पर इसका उपचार न किये जाने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। साथ ही साथ अगर इसकी सही समय पर रोकथाम नहीं की जाती है तो यह महामारी का भी रूप ले लेता है।