जानलेवा पहली लहर के बाद दूसरी लहर और अब तीसरी लहर का डर…यह कोरोना वायरस संक्रमित महामारी अंतहीन लगने लगी है। देश में मार्च से मई तक घातक दूसरी लहर का प्रकोप छाया हुआ था। COVID-19 संक्रमण के बाद जैसे-जैसे चीजें सामान्य होती जा रही हैं और भारतीय अर्थव्यवस्ता पटरी पर लौटने लगी है, वैसे-वैसे भयंकर तीसरी लहर के आने का डर भी मंडराने लगा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी माने तो भारत में तीसरी लहर अक्टूबर माह तक आ सकती है। लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या तीसरी लहर से बचा जा सकता है? अगर हाँ, तो हमें क्या करना चाहिए?
COVID-19 महामारी का प्रकोप लगभग पिछले डेढ़ साल से लगातार बना हुआ है। विश्व के लगभग सभी देश इस संक्रमण से प्रभावित हुए है। हालाँकि संक्रमण वृद्धि के दौर में बीच बीच में सापेक्षिक खामोशी देखी गई है। भारत में अब तक महामारी के दो चरण देखने को मिले है। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर को रोकने में विफल होने के बाद भारत सरकार और स्वस्थ अधिकारी नियमित रूप से लोगों को तीसरी लहर की सम्भावना के बारें में चेतावनी दे रहे है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के डेल्टा संस्करण ने बड़े पैमाने पर घातक दूसरी लहर चलाई है। डेल्टा संस्करण को पहली बार भारत में पिछले साल पहचाना गया था। भारत सरकार ने चेतावनी जारी की है कि “डेल्टा प्लस” नाम का एक नया संस्करण “चिंता का एक प्रकार” है। डेल्टा प्लस वैरिएंट डेल्टा संस्करण का ही एक उन्नत संस्करण है। विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल अभी यह कहने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं है कि यह तीसरी लहर पैदा कर सकता है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि परिदृश्य कभी भी बदल सकते है।
COVID-19 की तीसरी लहर पर बात करने से पहले यह जानना जरुरी है कि कोरोना वायरस संक्रमण के डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है? क्या हमें इससे डरने की जरुरत है? ये घातक या संक्रामक है? आइए हम इन सवालों पर विस्तार से चर्चा करते है;
डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है (What is the Delta Plus Variant)?
डेल्टा प्लस संस्करण डेल्टा संस्करण का एक उत्परिवर्तन है जिसे भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का मुख्य कारण बताया जाता है। यही कारण है कि डेल्टा प्लस संस्करण को तकनीकी रूप से B.1.617.2.1 या AY.1 नाम दिया गया है। दिल्ली के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के चिकित्सक और वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने एक ट्वीट में कहा, “म्यूटेशन SARS- COV-2 के स्पाइक प्रोटीन में है, जो वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने में मदद करता है।”
इस वेरिएंट का पहली बार यूरोप में मार्च 2020 में पता चला था लेकिन इसके मिलने की 13 जून 2020 को सार्वजनिक घोषणा की गई थी। डेल्टा प्लस संस्करण का पता भारत के अलावा यूएस, यूके, पुर्तगाल, स्विटजरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस आदि नौ देशों में भी चला है।
क्या डेल्टा प्लस वैरिएंट ट्रांसमिसिबल है (Is Delta Plus Variant Transmissible)?
INSACOG (भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टिया) के पूर्व सदस्य और देश के जानेमाने वायरोलॉजिस्टों में से एक, प्रोफेसर शाहिद जमील के अनुसार, फिलहाल यह बताने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि डेल्टा प्लस संस्करण दूसरों की तुलना में अधिक संक्रामक है। हालाँकि जब बात संक्रामक बीमारी की आती है तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की डेल्टा प्लस वेरिएंट संक्रामक नही होगा। यहाँ तक की भारत के कुछ हिस्सों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के कई मामलों की पहचान की गई है। जोकि एक चिंता का विषय है। अब देखना यह है कि क्या लोग टीके और पहले संक्रमण फलस्वरूप प्राप्त की गई प्रतिरक्षा से आने वाले संक्रमण को मात दे पाते है या नहीं। क्या डेल्टा प्लस संस्करण घातक है (Is Delta Plus Variant is Lethal)?
हाल ही में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि कोरोनावायरस का डेल्टा प्लस संस्करण एक ‘चिंता का प्रकार’ (Variant of Concern) है। जिसका अर्थ है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट अधिक संक्रामक है, फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स को मजबूती से बाँध सकता है और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सम्भवता इसपर कम असर करें। अगर ये चेतावनी सही निकली तो निश्चित रूप से डेल्टा प्लस वेरिएंट अब तक मौजूदा सभी कोरोना वायरस संक्रमणों से ज्यादा घातक साबित होगा।
क्या बच्चो में इस संक्रमण का खतरा है (Are Children at Risk)?
अबतक कोरोना वायरस के संक्रमण बच्चो में बहुत कम देखने को मिला है। एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के अनुसार तीसरी लहर के दौरान बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, हालाँकि इसे साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। वर्त्तमान में 18 साल से कम उम्र के बच्चो के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। इसपर लगातार काम हो रहा है पर बड़ा सवाल ये है कि क्या हम समय रहते बच्चो के लिए कोई टीका विकसित कर पाएंगे? इसके अलावा एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या हमारी स्वस्थ संस्थाएं तैयार है?
नारायण हेल्थ में कार्डियोलॉजिस्ट और महामारी प्रतिक्रिया योजना पर कर्नाटक सरकार के सलाहकार डॉ देवी शेट्टी ने अनुसार, ‘अगर बच्चे बड़ी संख्या में संक्रमित हो जाते हैं और हम तैयार नहीं होते हैं, तो आप अंतिम समय में कुछ नहीं कर सकते।’ इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि, ‘बच्चो में संक्रमण एक पूरी तरह से अलग समस्या होगी। क्यूंकि देश में बच्चों के लिए बहुत कम इंटेंसिव केयर यूनिट बेड्स हैं। अगर हमने पहले से तैयारी नहीं की गई तो स्थिति बहुत खराब हो जाएगी।’
बाल रोग संघ (The Pediatrics Association) ने आगे बढ़कर माता-पिता को वायरस से नहीं डरने की सलाह दी है क्योंकि उनका मानना है की बच्चों पर इसका कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ सकता है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) ने भी कहा है कि हालांकि बच्चों में संक्रमण का खतरा बना रहता है, लेकिन इसकी बहुत कम संभावना है कि तीसरी लहर मुख्य रूप से या विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करेगी।
इसके अतिरिक्त, इस बात के भी कोई सबूत नहीं है कि क्या COVID-19 से संक्रमित बच्चों में कोई गंभीर जटिलताएँ होंगी। बच्चो में संक्रमण होगा, नहीं होगा, काम होगा या ज्यादा होगा, गंभीर प्रभाव पड़ेगा या नहीं पड़ेगा ऐसे बहुत से सवाल है जिनके जवाब अभी हमें मिलना बाकि है। पर इस बात की पूरी संभावना है कि तीसरी लहर के दौरान बच्चो में संक्रमण देखने को मिलेगा। जबतक बच्चो के लिए किसी टीके की खोज नहीं हो जाती हमें बच्चो के प्रति बहुत सावधान रहने की जरुरत है।
बच्चो में COVID-19 के लक्षण (Symptoms of COVID-19 in Kids)
वयस्कों के समान, बच्चो में भी COVID-19 के विभिन्न लक्षण दिखाई देते है। उनमें से कुछ सामान्य हैं जो सभी आयु समूहों में मौजूद रहते हैं। जैसेकि बुखार, नाक बहना, थकान, गले में खराश और खांसी बच्चों में दिखाई देने वाले आम लक्षण हो सकते हैं। COVID-19 के सभी सामान्य और प्रचलित लक्षणों के अलावा, हालिया रिपोर्टों में COVID-19 से संक्रमित बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) के मामलों की संख्या में वृद्धि के संकेत दिए है । MIS-C से ग्रषित बच्चों में हृदय, फेफड़े, रक्त वाहिकाओं, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा या आंखों सहित शरीर केविभिन्न अंगों में गंभीर सूजन देखने को मिली है। ताजा जानकारी के मुताबिक, हल्के संक्रमण से ग्रषित बच्चों का इलाज होम आइसोलेशन में किया जा सकता है।हालांकि, यदि लक्षण जानलेवा है और संक्रमण बढ़ता जाता है तो चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण हो जाता है।
COVID-19 की तीसरी लहर की शुरुआत (Start of Third Wave of COVID-19)
भारत सरकार ने मंगलवार को इस बात की पुष्टि की है कि महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में करीब 22 मामलों में डेल्टा प्लस वेरिएंट का पता चला है। सरकार ने दिशा निर्देश जारी करते हुए सभी राज्यों को जरुरी एहतियात बरतनेको कहा है। IIT कानपुर के प्रोफेसर राजेश रंजन और महेंद्र वर्मा द्वारा अपनी टीम के साथ किए गए एक अध्ययन में सोमवार को कहा गया कि COVID-19 की तीसरी लहर इस सालसितंबर-अक्टूबर के आसपास आ सकती है। इसीमहीने की शुरुआत में, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, के विजय राघवन ने तीसरी लहर को “अपरिहार्य” कहा था।
हालांकि विजयराघवन ने दो दिन बाद एक चेतावनी देते हुए कहा कि “मजबूत उपायों” के माध्यम से तीसरी लहर सेबचा जा सकता है। इसी तरह एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ ललित कांत का कहना है कि “हमें कोरोना वायरस के खतरनाकरूपों की जल्द पहचान करने और रोकथाम के उपायों को लागू करने के लिए अपने अनुक्रमण प्रयासों को और बढ़ानेकी आवश्यकता है”। स्थानीय प्रशासन और अस्पतालों ने आने वाली तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए अपनेबुनियादी ढांचे में सुधार करना शुरू भी कर दिया है।
कोविड-19 की तीसरी लहर से कैसे बचा जाये (How to avoid the third wave of COVID-19)
अगर हम सरकार द्वारा जारी विभिन्न दिशा निर्देशो का पालन करते है तो हम सम्भवता आने वाली तीसरी लहर केअसर को कम कर सकते है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया नेकहा है कि, ‘आने वाली नई लहर पर हमारा ज्यादा नियंत्रण होगा। इसके आने तक काफी लोगों का वैक्सीनेशन होचुका होगा। दूसरी लहर से भी कुछ हद तक नेचुरल इम्यूनिटी मिलेगी। ‘डॉ गुलेरिया ने यह भी कहा कि कोविड कीतीसरी लहर से बचने के लिए उचित व्यवहार, अपने स्वस्थ की अच्छी निगरानी और टीकाकरण महत्वपूर्ण है।
इसी तरह नीति आयोग के डॉक्टर वीके पॉल ने भी लोगों को बताया की अगर कोविद के नियमों का उचित पालनकिया जाता है और अधिकांश लोगों को टीका लगाया जाता है तो तीसरी लहर को रोका जा सकता है। उनका कहनाहै कि “अगर हम कोविद के नियमों का पालन करते हैं और खुद को टीका लगवाते हैं तो तीसरी लहर क्यों होगी?विश्व के कई देश ऐसे हैं जहां दूसरी लहर भी नहीं आई है। अगर हम कोविद के दौरान उचित व्यवहार करते हैं, तो यहअवधि बीत जाएगी”।
सरकार कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने और इसके प्रकोप को फैलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयत्न कर रही है।वो समय समय पर विभिन्न दिशा निर्देशों के जरिये हमें COVID-19 के बारें में सचेत और सावधान करती रहती है।साथ ही साथ हमें COVID-19 संक्रमण के दौरान क्या सावधानिया बरतनी चाहिए उसका उल्लेख भी करती है। अबये हम सब की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम उन दिशा निर्देशों का पालन करें और सरकार के प्रयासों को सफलबनाये। हमें जरुरत है आगे बढ़ कर वैक्सीन लगवाने और दुसरो को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने की।कोरोना वायरस संक्रमण से बचने का इसके अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है।